हर रात नई कुंआरी लड़की से शादी और सुबह उसका कत्ल ...कहानियां सुनाकर कैसे टाली मौत, धर्मयुद्धों से निकले किस्से

नई दिल्ली: इजरायल, ईरान, फिलिस्तीन समेत समूचा मध्य पूर्व कभी शांत नहीं रहा। हजार साल पहले जब 1095 में रोमन ईसाइयों और मुसलमानों के बीच जमीन पर कब्जे को लेकर पहला धर्मयुद्ध हुआ तब भी ये इलाका वैसे ही यह अशांत रहा। 8 धर्मयुद्धों के बाद भी कोई नतीज

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नई दिल्ली: इजरायल, ईरान, फिलिस्तीन समेत समूचा मध्य पूर्व कभी शांत नहीं रहा। हजार साल पहले जब 1095 में रोमन ईसाइयों और मुसलमानों के बीच जमीन पर कब्जे को लेकर पहला धर्मयुद्ध हुआ तब भी ये इलाका वैसे ही यह अशांत रहा। 8 धर्मयुद्धों के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला और ये दुनिया आजतक धर्म को लेकर जूझ रही है। इन खून-खराबे वाले धर्मयुद्धों के बीच कुछ ऐसी कहानियां भी पनपी जिन्होंने पूरे अरब जगत को एक नई उम्मीद बंधाई। ये कहानियां किस्सागोई के रूप में ज्यादा चर्चित हुईं। ऐसी ही लोककथाओं का एक पॉपुलर संग्रह था-'वन थाउजेंड एंड वन नाइट्स'। अंग्रेजी में अरेबियन नाइट्स और अरबी में अलिफ लैला के नाम से मशहूर इन कहानियों में खिलाफत को कायम किया गया।

एक बेगम की बेवफाई से शुरू हुई थी यह कहानी

अलिफ लैला के अनुसार, जब बगदाद के सुल्तान शहरयार को एक दिन अचानक यह पता चला कि उसकी पहली बेगम उसके प्रति बेवफाई कर रही थी तो वह तिलमिलाया। उसे लगा कि इतने बड़े सुल्तान के रहते उसकी बेगम के संबंध किसी और से कैसे हो सकते हैं। इस बात में कितनी सच्चाई थी, इस बात को जाने बिना ही उसने एक बड़ा फैसला कर लिया।

हर दिन नई कुंआरी लड़की से शादी और सुबह कत्ल

विलियम हे मैकनाहटन की 1839 में लिखी किताब The Alif Laila के अनुसार, गुस्से और बदला लेने की आग में जल रहे सुल्तान ने यह फैसला लिया कि वह हर दिन एक नई कुंवारी लड़की से शादी करेगा और अगली सुबह उसका सिर धड़ से अलग कर देगा। ताकि फिर कोई बेगम उसके साथ कोई बेवफाई नहीं कर सके।
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सुल्तान की मंशा पूरी नहीं हो सकी तो आई शहरजादी

सुल्तान की यह मंशा पूरी नहीं हो सकी। दरअसल, कोई भी लड़की यह नहीं चाहती थी कि वह सुल्तान की बेगम बने और अगले ही दिन उसका कत्ल हो जाए। आखिरकार जब उसे कुलीन घराने की कोई और कुंवारी लड़की नहीं मिली तो शहरजादी नाम की लड़की ने अपने पिता की इच्छा के खिलाफ जाकर सुल्तन से शादी करने का फैसला कर लिया।

शहरजादी ने पढ़ी थीं राजाओं को इतिहास की किताबें

सर रिचर्ड बर्टन के 'द नाइट्स' के अनुवाद में शहरजादी के बारे में बताया गया है कि शहरजादी ने राजाओं की पुस्तकों, इतिहासों और किंवदंतियों और बीते हुए लोगों और चीजों की कहानियों को खूब पढ़ा था। उसने प्राचीन जातियों और दिवंगत शासकों से संबंधित इतिहास की एक हजार किताबें जुटाई थीं। उसने कवियों की रचनाएं पढ़ी थीं और उन्हें दिल से जानती थी; उसने दर्शनशास्त्र और विज्ञान, कला और खोजों का अध्ययन किया था। वह सुंदर, विनम्र, बुद्धिमान और मजाकिया होने के साथ-साथ अच्छे बर्ताव में माहिर थी।
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जब सुल्तान ने हरम में कहानी सुनाने को कहा

मोहसिन महदी की 1984 में छपी किताब Alf Layla wa-Layla के मुताबिक, सुल्तान ने हरम के निजी कक्ष में नई बेगम शहरजादी से पहली ही रात एक कहानी सुनाने को कहा। जब शहरजादी ने अपनी पहली कहानी सुनाई तो सुल्तान रातभर जागता रहा और हैरानी के साथ सुनता रहा। जब रात बीत गई तो शहरजादी ने कहानी सुनानी बंद कर दी। तब सुल्तान ने उसे अपनी कहानी पूरी करने को कहा। इस पर शहरजादी ने कहा कि सुबह होने को है, अभी वक्त नहीं है। तब सुल्तान ने एक दिन के लिए उसकी जान बख्श दी ताकि वह अगली रात कहानी पूरी कर सके।

कहानी अधूरी छोड़ने की वजह से बेगम की जान बच जाती

अगली रात शहरजादी ने कहानी खत्म की और फिर एक नई रोमांचक कहानी सुनानी शुरू की। जब भोर होने को होती, तब वह कहानी सुनाना रोक देती। ऐसे में मजबूरन सुल्तान को एक और दिन के लिए उसकी जान बख्शनी पड़ती। यह कहानी हर रात को नई होती और सुबह होते-होते एक नई कहानी की शुरुआत हो जाती। ऐसे में उसकी जान बच जाती। अरेबियन नाइट्स की ये कहानियां इतनी मशहूर हुईं कि यूरोप और एशिया में इन पर कई फिल्में बनीं। स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग में भी अलीबाबा पर बनी फिल्म 40 थीव्स के पोस्टर लगे थे।
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जब 1,001वीं कहानी पर कहा कि अब और नहीं कहानी

सुल्तान ने शहरजादी को अपने आदेश के अनुसार नहीं मारा, क्योंकि उसे पिछली रात की कहानी के क्लाइमेक्स का इंतजार रहता। ऐसा करते हुए 1,000 रातें बीत गईं। आखिरकार जब शहरजादी ने 1,001वीं कहानी सुनाकर खत्म की तो उसने सुल्तान से कहा कि उसके पास सुनाने के लिए अब और कहानियां नहीं हैं।

आखिरी रात को बेगम ने अपने तीन बेटों को आगे कर दिया

1001वीं रात को कहानी सुनाने के बाद शहरजादी ने सुल्तान के आगे अपने 3 बेटों को रखकर अपनी जान की भीख मांगी। ये बेटे सुल्तान के साथ इन 1,000 रातों में संबंध बनाने के बाद पैदा हुए। ये तीनों बच्चे छोटे ही थे। उसने सुल्तान से कहा कि ये आपके ही बच्चे हैं और मुझे मौत की सजा से माफी दे दी जाए।
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जब बेगम ने कहा-मुझे मार दोगे तो मेरी जैसी औरत नहीं मिलेगी

बेगम शहरजादी ने कहा कि अगर आप मुझे मार देंगे, तो इन बच्चों को कोई सरपरस्त नहीं मिलेगा। इन बच्चों के लिए एक मां और आपको इतनी अच्छी तरह से पालने वाली कोई दूसरी औरत नहीं मिलेगी। तब सुल्तान ने उसे माफ कर दिया। इसके बाद शहरजादी के पिता को बुलाकर सम्मानित किया। पूरे राज्य में 30 दिनों तक उत्सव मनाया गया।

ईरान के पहलवी वंश के अफसानों की भी कहानियां

एक हजार एक रात की अधिकांश कहानिया मूल रूप से अब्बासी खलीफाओं और मामलुक युग की लोक कहानियां थीं। वन थाउजेंड एंड वन नाइट्स प्राचीन ईरान में शायद पहलवी फारसी भाषा में लिखी गई 'हेजर अफसान'से ली गई हैं, जो बदले में पुराने भारतीय ग्रंथों का अनुवाद हो सकता है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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